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Tuesday, September 22, 2009






































रिपोर्ट

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जन्म शताब्दी समारोह का नये संकल्पों के साथ समापन

शमशेर अहमद खान


नई दिल्ली,20 सितंबर 2009,राष्ट्रकवि दिनकर वर्ष जन्मशताब्दी के अवसर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा राष्ट्र कवि दिनकर की जन्म शताब्दी के समापन समारोह का आयोजन चिंतनपरक सत्रों, नाटक और कवि सम्मेलन के माध्यम से किया गया. उद्घाटन भाषण में भारतीय संस्कृति के महान चिंतकों में डॉ. मुरली मनोहर जोशी,डॉ. रत्नाकर पांडेय, श्री ललितेश्वर प्रसाद शाही (पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री,भारत सरकार ),श्री शांता कुमार (पूर्व मुख्य मंत्री,हिमाचल प्रदेश एवं सांसद राज्य सभा),डॉ. भीष्म नारायण सिंह, डॉ. रामजी सिंह,डॉ. अरूण कुमार,श्री वशिष्ठ नारायण सिंह,पद्मश्री संतोष यादव(माउंट एवेरेस्ट विजेता) आदि थे.
उद्घाटन सत्र में डॉ. रत्नाकर पांडेय ने अपने चिंतनपरक आख्यान में दिनकर की इन पंक्तियों का उल्लेख किया—समर शेष है,नहीं पाप का भागी केवल व्याध,जो तटस्थ हैं,समय लिखेगा उनका भी अपराध.-कि अब समय आ गया है कि हम तट्स्थ न रहें , हमारा मौन रहना हमारी निष्क्रीयता का द्योतक है. और इतिहास हमें क्षमा नहीं करेगा. भारतीय संस्कृति के चार अध्याय में उन्होंने जो भाव व्यक्त किए हैं उसमें सांस्कृतिक उत्थान में हर जन की सहभागिता कालांतर से रही है.उन्होंने दिनकर के कवि रूप का जिक्र करते हुए ये पंक्तियां कहीं—मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूम मैं,उर्वशी अपने समय का सूर्य हूं मैं.-इसके अलावा उन्होंने अनेक प्रसंगों का भी जिक्र किया जो दिनकर का मूल चिंतन था.
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इस वैचारिक व्याख्यान में डॉ. रामजी, डॉ. शांता कुमार, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, डॉ. भीष्म नारायण सिंह, डॉ. अरूण कुमार के द्वारा विचार ऐसे प्रस्तुत किए गये थे कि दिनकर के चिंतन की वैचारिक गरमाहट की अनुभुति को मावलंकर सभागार में उपस्थित श्रोताओं ने गहराई से महसूस किया.
उद्घाटन सत्र के बाद मैं नालंदा हूं नाटक का मंचन हुआ जो नालंदा के अतीत और विध्वंस तथा आज उसकी महत्ता परकसे हुए निर्देशन में भली भांति अभिनीत किया गया.

द्वितीय सत्र की संगोष्ठी में शामिल वक्ताओम में –डॉ. कृष्णदत्त पालीवाल,डॉ.रामजी सिंह,डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय,डॉ. गोपाल राय,प्रो. गोपेश्वर सिंह,डॉ. केशुभाई देसाई,श्री नारायण कुमार,श्री अमरनाथ अमर आदि थे.
उद्घाटन सत्र में ही प्रो.गोपाल राय और सत्यकाम द्वारा संपादित पुस्तक-दिनकर-व्यक्तित्व और रचना के आयाम तथा संस्कृति से संवाद –रामधारी सिंह दिनकर स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ.
अंतिम सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें –सर्वश्री गोपाल दास नीरज,भगवान प्रलय, मुमताज नसीम,सत्येन्द्र सत्यर्थी,विवेक गौतम,सुश्रीआकृति शशांक,लक्ष्मी शंकर वाजपेयी,विनीत चौहान,अमर नाथ अमर, हरमिंद्र पाल,पंकज सुबीर और नमिता राकेश आदि प्रमुख थीं.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्य्केतु सांकृत और समंवय नीरज कुमार ने किया.
न देखे विश्व पर मुझको घृणा से,
मनुज हूं ,सृष्टि का शृंगार हूं मैं,
पुजारिन! धूलि से मुझको उठालो,
तुम्हारे देवता का हार हूं मैं. ----
शमशेर अहमद खान
2-सी, प्रैस ब्लाक, पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस, दिल्ली-110054

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