tag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post8352329568381242864..comments2022-11-23T00:45:53.596-08:00Comments on धम्मसंघ: पेट्रोल,महंगाई और आम आदमीsukirtihttp://www.blogger.com/profile/11280972749769013213noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-24833029988234022302010-07-28T06:49:00.845-07:002010-07-28T06:49:00.845-07:00rashtriya hit ki bhavana se ot-prot hokar desh ki ...rashtriya hit ki bhavana se ot-prot hokar desh ki jwalant samasyao se aam aadmi ki pira ka vyavharik roop se chitran kiya hai, keval aadmi ki hi baat is aalekh me nahi ki gai hai apitu bejuban janvaro ka paksh bhi prabhavshali dhang se prastut kiya gaya hai.Paryawaran Sachetakhttps://www.blogger.com/profile/17596666877007396000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-11339154996277709132010-07-21T10:39:09.293-07:002010-07-21T10:39:09.293-07:00'महंगाई झेल रही जनता से सहानुभूति लेकर अपनी रा...'महंगाई झेल रही जनता से सहानुभूति लेकर अपनी राजनीति चमकाने की निहित स्वार्थ भावना आम जनता के मनःस्थल में यह सवाल जरूर खडा करती है कि महंगाई से आम जनता को निजात दिलाने के लिए इसके अलावा भी क्या कुछ रास्ते नहीं थे?'<br />जनता की आवाज़ को सरकारी कानों तक पहुँचाने के तीन तरीके हैं: शान्तिपूर्ण प्रदर्शन/बंद, हिंसात्मक कार्रवाई तथा हिंसात्मक प्रदर्शन/बंद। इसमें दो राय नहीं कि दिल्ली में बैठा आदमी दूर-दराज गाँव-कस्बे में बैठे आदमी जितना त्रस्त नहीं है। उसकी हालत 'खाक़ हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक' जैसी है। लेकिन दिल्ली में बैठा आदमी भी तो कहीं न कहीं उसी दूर-दराज़ का हिस्सा है, उसी का बेटा है, भाई है। इसलिए मेरा मानना है कि ऐसे लेखों को न तो राजनीतिक दृष्टिकोण से लिखा जाना चाहिए और न ही पढ़ा जाना चाहिए। ऐसे लेख बेहद संतुलित मानसिकता की माँग करते हैं।Aditya Agarwalhttps://www.blogger.com/profile/15454435870567592589noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-73947707221439201702010-07-20T11:29:28.722-07:002010-07-20T11:29:28.722-07:00विपक्ष का यह तरीका सही में जनविरोधी है। यह अगर पिछ...विपक्ष का यह तरीका सही में जनविरोधी है। यह अगर पिछले साल ही किया होता तो शायद हम आमलोगों की यह हालत नहीं होती।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-18250167416036318672010-07-19T05:01:50.247-07:002010-07-19T05:01:50.247-07:00देखिये जो मजाक आपने यह लेख लिखकर किया है वह किसी क...देखिये जो मजाक आपने यह लेख लिखकर किया है वह किसी कंग्रेस्सी को तो अच्छा लग सकता है ,पर आम आदमी की तकलीफ केंद्र या राज्य अब किसी को समझ में नहीं आ रहा है संयोग है आप देलही में है तब आप को यह सब सूझ रहा है आम आदमिओ तो आज बोलने की हालात में नहीं है . महगाई हमेशा बढती थी तब आम आदमी उससे तालमेल कर लेता था आज की महगाई से आप तालमेल कर सकते हो, पूंजीपतियों पर असर नहीं पड़ता पर आम आदमी का दुःख श्री मनमोहन जी नहीं जानते है, उन्हें तो इंडियन कांग्रेस कंपनी चलानी है .<br />डॉ.लाल रत्नाकर <br />आर-२४ राज कुञ्ज राज नगर गाजियाबाद .<br />ratnakarlal@gmail.comDr.Lal Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/00241431108604429257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-72268141383846024312010-07-17T08:17:40.397-07:002010-07-17T08:17:40.397-07:00विचारोत्तेजक लेख है। मुझे लगता है कि 'राजनीतिज...विचारोत्तेजक लेख है। मुझे लगता है कि 'राजनीतिज्ञों' की वर्तमान पीढ़ी के पास सोच का कोई भी धरातल नया नहीं है। यह ठीक है कि आम-जनता के दमन और दोहन के मामले में आज के सत्ताधारी, वे चाहे किसी भी दल के क्यों न हों, अंगरेजों से दो हाथ आगे ही हैं लेकिन उनसे लड़ाई के तरीके वही नहीं हो सकते जो 1920 में हुआ करते थे। लड़ते समय आम-आदमी के अहित को अनदेखा कैसे किया जा सकता है? एक उच्च-स्तरीय मुद्दा उठाने के लिए आपको धन्यवाद।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-46454755472338171872010-07-16T09:29:37.693-07:002010-07-16T09:29:37.693-07:00धन्यवाद, शहनवाज साहब.धन्यवाद, शहनवाज साहब.sukirtihttps://www.blogger.com/profile/11280972749769013213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-7748971124073462722010-07-15T20:53:48.071-07:002010-07-15T20:53:48.071-07:00धन्यवाद। शाहनवाज जी, आपने मेरा कुछ कार्य तो हल्क...धन्यवाद। शाहनवाज जी, आपने मेरा कुछ कार्य तो हल्का किया। मुझे ऐसे ही नौजवान ब्लॉगरों की जरूरत है। आप निम्न प्रारूप के अनुरूप टिप्पणी दिया कीजिए। <br />आज दिनांक 16 जुलाई 2010 के दैनिक जनसत्ता में संपादकीय पेज 6 पर समांतर स्तंभ में आपकी यह पोस्ट ऊपर से नीचे शीर्षक से प्रकाशित हुई है, बधाई। स्कैनबिम्ब देखने के लिए <a href="http://www.jansattaraipur.com/" rel="nofollow"> जनसत्ता </a> पर क्लिक कर सकते हैं। कोई कठिनाई आने पर मुझसे संपर्क कर लें।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-36332613722764631282010-07-15T20:35:28.302-07:002010-07-15T20:35:28.302-07:00बेहतरीन लेख! आपका यह लेख आज के जनसत्ता में प्रकाशि...बेहतरीन लेख! आपका यह लेख आज के जनसत्ता में प्रकाशित है. ई-पेपर देखने के लिए क्लिक करें.<br /><br /><a href="http://www.jansattaraipur.com/" rel="nofollow">http://www.jansattaraipur.com</a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9213563417372798377.post-24978473465129059032010-07-09T00:21:16.506-07:002010-07-09T00:21:16.506-07:00Sateek Chintan.Sateek Chintan.Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com