नन्हे असलम की एक सबसे बढ़िया आदत यह भी है कि स्कूल के होमवर्क को पूरा करने के बाद अपने माता-पिता के संग अपने घर के पिछवाड़े वाले बागीचे में पौधों की देखभाल किया करता है। उसके इस छोटे से बागीचे में कई तरह के फलदार वृक्ष हैं। इस बागीचे की जितनी सेवा वह करता है उतना ही फल वे वृक्ष देते हैं।लेकिन असलम को तब बहुत दुख होता है जब बंदर उत्पात करते हुए न केवल फलों को खाते हैं बल्कि खाने से ज्यादा नष्ट करते हैं। इन बंदरों के किए नुकसान को देखकर वह सोचता रहता है कि आखि्र बंदर शहर में रहते ही क्यों हैं? हालांकि अस्लम कुअदरती जीवों से बहुत प्यार करता है लेकिन उसे बंदरों की शैतानी बिल्कुल ही नहीं भाती।ये शैतानी बंदर न केवल लोगों के बाग-बागीचे उखाड़ते रहते हैं बल्कि लोगों को बिना वजह काटते भी रहते हैं,जिससे उन्हें सूईयां भी लगवानी पड़ती रहती हैं।पिछले दिनों तो हद यह हो गई कि दिल्ली के मेयर को इन बंदरों ने मौत के मुंह में सुला दिया.
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