Saturday, August 15, 2009
जन्म अष्ठमी और स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर रुधौली में हुआ कविता-पाठ
विगत दिनों उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के अंतर्गत रुधौली तहसील मुख्यालय के डाक बंगले में स्थानीय कवियों की कविता गोष्ठी का आयोजन कवि श्री बनवारी लाल त्रिपाठी की अध्यक्षता में किया गया. इस अवसर पर दिल्ली से पधारे भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग,केंहिं.प्र.सं. के वरिष्ठ सहायक निदेशक श्री शमशेर अहमद खान मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए.इस कविता संगोष्ठी में अपनी कविता द्वारा श्रोताओं को मंत्र मुग्ध करने वाले यशस्वी कवियों में बनवारी लाल त्रिपाठी सारंग, सादां, बलिराज भट्ट,कृष्ण भाल पांडेय,आनंद बहादुर सिंह आदि प्रमुख थे. श्रोता जहां सादां की गजल---अक्सरे नव यह चमन हमको सजाना होगा,नगमे,प्यार, वफा फिर से सुनाना होगा, गम नहीं है जो हमें जान से जाना होगा,हमें हर हाल में कश्मीर को बचाना होगा…..कौमी एकता पर आधारित इस गजल को सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गए. वहीं कवि श्री सारंग की कविता जो हास्यपरक थी,सुनकर श्रोतागण हंस-हंस कर लोट-पोट हो गए.उनकी स्वरचित कविता बिन बरसात सरयू में बाढ़—कलवारी आए बनवारी- श्रोताओं द्वारा काफी सराही गई. इसके अलावा बलिराज भट्ट की आजादी की कविता भी श्रोतागण में काफी सराही गई.
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