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Monday, June 7, 2010

आरोग्यम का लोकार्पण










भारतीय जनमानस को समर्पित आरोग्यम
शमशेर अहमद खान

विगत दिनों भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सभागार में स्वामी करम वीर जी महाराज द्वारा लिखित आरोग्यम पुस्तक का लोकार्पण डॉ. कर्ण सिंह जी के कर कमलों द्वारा दिल्ली के अति विशिष्ट गणमान्य उपस्थित जनों के बीच संपन्न हुआ.इस समारोह में न केवल चिकित्सा जगत के विश्व स्तर के एलोपैथिक के डॉ. बल्कि सभी चिकित्सा पद्धतियों के ख्याति प्राप्ति सम्मानित चिकित्सक के अलावा प्रशासक, मीडियाकर्मी,लेखक, अधिवक्ता आदि भी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी रहे.
लोकार्पण समारोह से पूर्व भारतीय संस्कृति की परम्प्रा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलित किया गया. तत्पश्चात मन्चासीन अतिथियों ने आरोग्यम पुस्तक पर अपनी-अपनी संक्षिप्त टिप्पणियां दीं.
डॉ. कर्ण सिंह जी ने अपने उद्बोधन में भारतीय चिकित्सा पद्धति की हजारों वर्षों से चली आ रही कल्याणकारी विशेषताओं को आगे भी जनकल्याण हेतु उपयोग पर बल देते हुए स्वामी कर्म वीर जी के इस अवधारणा की सराहनी की कि मनुष्य को बीमारी की दशा में चिकित्सा से पूर्व ही क्यों न ऐसा बना दिया जाय कि वह स्वस्थ रहे जिसे स्वामी जी की पुस्तक में बताया गया है.
स्वामी जी की पुस्तक दो भागों में बंटी है-प्रथम भाग में आठ अध्याय हैं जिनमें प्रमुख अध्याय हैं-आयुर्वेद के मुख्य स्तंभ क्या हैं? भारतीय रसोई-स्वास्थ्य का मुख्य बिंदु,संतुलित आहार क्या है? स्वस्थ जीवन के मूलभूत क्या हैं? कोई बीमारी से कैसे बचाव कर सकता है? और विरोधाभासी भोजन क्या हैं और उनके उदाहरण. और दूसरे भाग में-अनाज और दालें, सब्जियां,दूध और उसका उत्पाद्य,दही और उसका उत्पाद्य,गाय का उत्पाद्य तथा फलों पर चर्चा की गई है.
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अपने वक्तव्य में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी यह पुस्तक भारतीय पद्धति के अनुसार रसोई से स्वस्थ रहने के सिद्धांत पर बल देती है.
वास्तव में आज जिस प्रकार भारतीय जनमानस के आचार-विचार में परिवर्तन के साथ उसकी भोजन प्रणाली और रहन-स्हन में बदलाव आ रहा है, विशेषकर आने वाली पीढ़ी जो बिना नफा-नुक्सान के वाह्य सभ्यता से प्रभावित होकर भारतीय संस्कारों,जीवन पद्धतियों को त्याग कर नित नए रोग से ग्रसित हो रही है, उसके लिए आवश्यका था कि इस तरह की पुस्तक आए और जो लोगों के बीच मसीहा के रूप में स्वस्थ जीवन के लिए बाइबल का काम करे. देवभूमि हिमालय में अनेक महर्षियों के सत्संग से मिले अमृत की बूंदों को उन्होंने भारत भूमि के बीमार और निराश जनमानस में अपनी दैवी संकल्पनाओं के साथ आरोग्य नामक पुस्तक के माध्यम से अवतरित हुए हैं जो स्वस्थ भारत के निर्माण में संजीवनी का काम करेगी.
पुस्तक के लोकार्पण में पद्म भूषण वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा और पद्म भूषण डॉ.एस.पी. अग्रवाल की न केवल सहभागिता थी बल्कि उन्होंने स्वामी जी के उल्लेखनीय इस योगदान की भूरि- भूरि प्रशंसा भी की.
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के निदेशक(प्रकाशन) डॉ. अजय गुप्ता का इस कर्यक्रम के समन्वयन में सराहनीय योगदान रहा.
शमशेर अहमद खान,
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