Pages

Wednesday, December 23, 2009

धम्म संघ जहां बिखरे पड़े हैं पुरातात्विक अवशेष











र्तमान में सिद्धार्थ नगर और संतकबीर नगर जनपदों की सीमा पर स्थिति एक छोटा सा कस्बा है धर्मसिंहवा जिसकी कुल आबादी चार हजार के आस-पास होगी. प्रशासनिक दृष्टि से इसे ब्लाक स्तर का भी दर्जा प्राप्त नहीं है किंतु शाक्य काल में यह बौद्ध कालीन फलता-फूलता कस्बा था.राजकुमार सिद्धार्थ के पिता की राजधानी जिस समय कपिलवस्तु थी, उस समय शाक्य गणराज्य के महत्वपूर्ण नगरों में 10 कि.मी. की दूरी पर स्थिति मेतुलप्प( वर्तमान मेंहदावल) विशेष स्थान रखता था.उस समय अचिरावती(वर्तमान राप्ती) निकट से बहा करती थी. छिबरा का रैना ताल इस बात का आज भी साक्षी है.राप्ती की धारा अपना चिह्न छोड़कर अब उत्तर की ओर बहने लगी है.बौद्ध काल में यह धम्म संघ नाम से पुकारा जाता था.पुरातत्विदों के अनुसार लगभगा ्ढाई हजार वर्ष पूर्व यह कस्बा एक सम्पन्न आध्यात्मिक एवं कला का केंद्र था.बौद्ध सभ्यता एवं संस्कृति से समृद्ध यह नगर सभी सुख-सुविधाओं से भरपूर व्यापार,संस्कृति आदि प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी था.
बुद्धत्व प्राप्त करने के पश्चात तथागत ने इस स्थल का चयन कर यहां बौद्ध केंद्र स्थापित किया था. इस स्थान का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि राजकुमार सिद्धार्थ ने इसी रास्ते से गृह त्याग कर बुद्धत्व प्राप्त करने निकले थे. ऐसा माना जाता है कि राजकुमार सिद्धार्थ अपने घोड़े कंतक और सार्थवाह चन्ह के साथ कपिलवस्तु के पूर्वी द्वार से निकलकर शाक्य गणराज्य के अंतिम नगर अनुप्रिया की ओर गये तब वे धम्म संघ से होकर गुजरे थे क्योंकि कपिलवस्तु की इस रास्ते से अनुप्रिया की दूरी उतनी ही बैठती है जितनी दूरी का उल्लेख चीनी यात्रियों ने अपने यात्रा विवरण में किया है. पूर्व में इसका नाम धम्म संघ था किंतु बौद्ध धर्म के ह्रास के साथ ही यह धर्मसिंहवा नाम से पुकारा जाने लगा. विश्वविख्यात पुरातत्वेत्ता डॉ. बी.आर.मणि के अनुसार ‘धर्मसिंहवा’ अशोक के धर्म चक्र से संबंधित है. यहां से 20 कि.मी.पश्चिमोत्तर मेम महादेवा से प्राप्त अशोक की सिंह वाली लाट(स्तंभ) जो आज उत्तर प्रदेश लखनऊ संग्रहालय में संरक्षित है, यहीं से ले जाई गई थी.धम्म सम्घ(धर्मसिंहवा) में आज भी भौद्धकालीन संस्कृतियों के अनेक चिह्न पग-पग पर मिलते हैं.यहां कई एकड़ क्षेत्र में फैला एक गहरा तालाब है जिसका पानी कभी नहीं सूखता, इसी के तट पर एक स्तूप और स्तंभ है.संभवतः बौध बिक्षु इसी तालाब में स्नान कर ध्यान साधना करते रहे होंगे.
तालाब के दक्षिण- पूर्व में लगभग दो कि.मी. के दायरे में खुला मैदान है जिसमें कुछ कृषि भूमि के रूप मे इस्तेमाल की जाती है और कुछ भाग में मदरसा कायम है.इस भूमि में मिल रही प्राचीन वस्तुओं को देखकर सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस धरती के नीचे बौद्धकालीन इतिहास दबा पडा है. आवश्यकता है किसी ऐसे महान खो जी की जो उन्हें धरती से निकालकर संसार के सामने रख दे.

Wednesday, September 30, 2009












































































































































































Joy Of With Celebrating Of.Bones.Âý.NO.Of Fortnight Of Closing Festival
Shamsher Ahmed Khan
Home Ministry, OL Department Of Under Central Hindi Training Institute In Date-15-09-2009 From 30-09-2009 Until Hindi Fortnight Of Event Did Went. This Employees/Officers To Hindi In Task To Of Per Induced To Of Purpose From Many Contests Held Of Were Which Employees/Officers The Enthusiastically Part Took. Various Competitions In Victorious Participants Of Name The Type Are--Hindi Typing--Mr. Niloy Government First,Mrs. Bimla II,Mr. Rakesh Kumar Gandhi III,Hindi Shorthand--Mr. Rajesh Kumar Saini First, Mrs. Bimla II, Mr. Sivakumar Kedre III,Famous Writing( Group D) Mr. Manoj Kumar First, Mr. Mahesh Chand II, Mr. Prahlad Singh III,Mr. Yogendra Paul Singh Promotion Common Gjyan-- Mr. Manoj Kumar First,Mr. Surendra Kumar II,Mr. Kamal Win Singh III, Mr. Mahesh Chand Promotion,Essay Writing--Mr. Wind Kumar Mishra First,Mrs. Bimla II,Mr. Niloy Government III, Mr. Madan Red Popli III,Noting And Draft Writing --Mr. Wind Kumar Mishra First,Mr. Madan Red Popli II, Mr. Dinesh Kumar III, Mr. Shyamsunder III, Ashu Speech--Mr. Shamsher Ahmed Khan First, Mr. W Beautiful II, Mr. Mukesh Kumar III Swrcit Poetry Text-- Mr. Puran Chand Singh First, Mr. Rakesh Kumar II, Mr. W Beautiful III.
The Program Of Closing Central Hindi Training Institute Of 2 --E,Earth Raj Road Status Workshop Unit Of Lecture Room In Held Did Went.Victorious Participants To Raj Language Department Of United Secretary Mr. D.Of.Pandey The Awards Amount And Evidence Letter Provided Do The Happiness Expressed Of And Khaki Same Type Future In Also People Enthusiastically Work Us And Awards From Benefit Are. The Institute Of Director Mrs. Mohini Hingorani The Main Guest Of Respect In Two Word Say And Fortnight Of Report Presented Of. Program Of Thanks Jgapan Deputy Director (Typing Correspondence) Mr. Tikaram Kashyap The Did And Operations Mr. M.L. Sharma Assistant Director The Successfully Did.
Shamsher Ahmed Khan,Assistant Director, Of.Bones.Âý.NO., 2 --E, Earth Raj Road, New Delhi-110011

Wednesday, September 23, 2009


रिपोर्ट

बिन पानी सब सून
शमशेर अहमद खान


नई दिल्ली, विगत दिनों दिवंगत पत्रकार कंचना की स्मृति में छठा कंचना स्मृति व्याख्यानमाला और पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया.इस वर्ष कंचना स्मृति पुरस्कार सुविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक श्री विजय कुमार सिंह को प्रदान किया गया. श्री सिंह अखिल भारतीय शांति सेना के संगठनकर्ता हैं और गांधीवादी विचारों के प्रबल समर्थक हैं. आपका कार्यक्षेत्र बनारस, सारनाथ और आसपास के ग्रामीण इलाके रहे हैं. उन्होंने अखिल भारतीय शांति सेना और लोकचेतना मंच के तत्वाधान में 68 युवा और शांति कैंप लगा चुके हैं.
इस अवसर पर बोलते हुए भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव श्री गोविंदाचार्य ने वर्तमान कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों अंगों में आ रही नैतिक गिरावट और मायावाद पर गहरी चिंता व्यक्त की. साथ ही उन्होंने मायावादी प्रवृति में चौथे स्तंभ पर भी सवालिया निशान लगा दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सोमपाल शास्त्री ने सैद्धांतिक तौर पर विश्व की श्रेष्ठ शासन प्रणाली में लोकतंत्र को बेहतर प्रणाली बताया और उन्होंने सिद्धांत्तः भारत के चारों स्तंभों पर अपनी बेबाक टिप्पणी देते हुए किसी को भी कमजोर कड़ी नहीं समझा.
वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने चौथे स्तंभ पर हावी हो रहे प्रबंधतंत्र की ओर संकेत करते हुए किसी ऐसी चर्चा को खारिज कर दिया कि जब तक मीडिया से जुडा प्रबंधतंत्र शामिल नहीं होगा तब तक चौथे स्तंभ पर की गईं बातें बेमानी है.
वरिष्ठ पत्रकार श्री अरविंद कुमार सिंह ने कंचना स्मृति व्याख्यानमाला से संबंधित अभी तक आयोजित किए गए कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी और कंचना की उन सारी खूबियों का स्मरण किया जिनसे वे एक आदर्श पत्रकार प्रतिस्थापित हुई थीं.
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रामकृपाल सिंहा,प्रतिष्ठित गांधीवादी विचारक डॉ. रामजी प्रसाद,उ.प्र. के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री बालेश्वर त्यागी, सर्वश्री रजनीश कुमार, रामाशीष राय, महाचंद्र सिंह,देवदत्त,प्रबाल मैत्र,अर्विंद मोहन,अजय कुमार,जवाहर लाल कौल,बनारसी सिंह,अरूण खरे,जै प्रकाश त्रिपाठी, अमिताभ,उमेश चतुर्वेदी और कैलाश जी सहित अनेक गणमान्य जन मौजूद थे.

--------शमशेर अहमद खान,2-सी,प्रैस ब्लॉक, पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस, दिल्ली-110054

Report

Bin Water All Sun
Shamsher Ahmed Khan


New Delhi, Past Days Late Press Kancna Of Memory In Sixth Kancna Memory Wyakyanmala And Awards Festival Of Event Did Went.The Year Kancna Memory Awards Eminence Social Worker And Thinker Mr. Vijay Kumar Singh To Provided Did Went. Mr. Singh All Indian Peace Army Of Organizer Are And Gandhian Ideas Of Strong Pro Are. Your Vertical Banaras, Sarnath And Around Of Rural Area Are Are. He All Indian Peace Army And Lokchetna Forum Of Aegis In 68 Youth And Peace Camp Thought Have Are.
The Scope At Speaking The BJP Of East National General Secretary Mr. Govindacharya The Present Executive, Legislature And Judiciary Three Organs In Come Are Moral Decline And Mayawad At Deep Concern Expressed Of. With Only He Mayawadi Tendency In Fourth Column At Also Question Mark Thought Given.
Program Of Chairmanship Tax Are East Central Minister Dr.. Som Pal Shastri The Theoretical As At World Of Best Governance System In Democracy To Better System Told And He सिद्धांत्तः India Of Four Columns At Its Frank Comment Give The A To Also Weak Link No Explain.
Senior Press Mr. Rahul Dev The Fourth Column At Dominating Are Are Mandtntr Of Toward Signal Do The A Such Discussion To Dismissed Tax Given That When Until Media From Juda Mandtntr Included No Must Then Until Fourth Column At Of Were Things Redundant Is.
Senior Press Mr. Arvind Kumar Singh The Kancna Memory Wyakyanmala From Related Just Until Held Made Were Programs Of Advanced Information Given And Kancna Of Those All Features Of Remember Did Which They A Model Press Replace Was Were.
The Scope At East Central Minister Dr.. Ramkripal Sinha,Prestigious Gandhian Thinker Dr.. Ramji Prasad,N.Âý. Of East Education Minister Mr. Balasore Tyagi, Shri Rajneesh Kumar, Ramashis Roy, Mahachandra Singh,Devdutt,Prabal Maitra,Arvind Mohan,Ajay Kumar,Jawahar Red Kaul,Banarasi Singh,Arun Khare,Ja Light Tripathi, Amitabh,Umesh Chaturvedi And Kailash G Including Many Distinguished Jan Present Were.

--------Shamsher Ahmed Khan, 2 --C,Press Block, Old Secretariat, Civil Lines, Delhi-110054

Tuesday, September 22, 2009






































रिपोर्ट

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जन्म शताब्दी समारोह का नये संकल्पों के साथ समापन

शमशेर अहमद खान


नई दिल्ली,20 सितंबर 2009,राष्ट्रकवि दिनकर वर्ष जन्मशताब्दी के अवसर पर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा राष्ट्र कवि दिनकर की जन्म शताब्दी के समापन समारोह का आयोजन चिंतनपरक सत्रों, नाटक और कवि सम्मेलन के माध्यम से किया गया. उद्घाटन भाषण में भारतीय संस्कृति के महान चिंतकों में डॉ. मुरली मनोहर जोशी,डॉ. रत्नाकर पांडेय, श्री ललितेश्वर प्रसाद शाही (पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री,भारत सरकार ),श्री शांता कुमार (पूर्व मुख्य मंत्री,हिमाचल प्रदेश एवं सांसद राज्य सभा),डॉ. भीष्म नारायण सिंह, डॉ. रामजी सिंह,डॉ. अरूण कुमार,श्री वशिष्ठ नारायण सिंह,पद्मश्री संतोष यादव(माउंट एवेरेस्ट विजेता) आदि थे.
उद्घाटन सत्र में डॉ. रत्नाकर पांडेय ने अपने चिंतनपरक आख्यान में दिनकर की इन पंक्तियों का उल्लेख किया—समर शेष है,नहीं पाप का भागी केवल व्याध,जो तटस्थ हैं,समय लिखेगा उनका भी अपराध.-कि अब समय आ गया है कि हम तट्स्थ न रहें , हमारा मौन रहना हमारी निष्क्रीयता का द्योतक है. और इतिहास हमें क्षमा नहीं करेगा. भारतीय संस्कृति के चार अध्याय में उन्होंने जो भाव व्यक्त किए हैं उसमें सांस्कृतिक उत्थान में हर जन की सहभागिता कालांतर से रही है.उन्होंने दिनकर के कवि रूप का जिक्र करते हुए ये पंक्तियां कहीं—मर्त्य मानव की विजय का तूर्य हूम मैं,उर्वशी अपने समय का सूर्य हूं मैं.-इसके अलावा उन्होंने अनेक प्रसंगों का भी जिक्र किया जो दिनकर का मूल चिंतन था.
------2-----
इस वैचारिक व्याख्यान में डॉ. रामजी, डॉ. शांता कुमार, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, डॉ. भीष्म नारायण सिंह, डॉ. अरूण कुमार के द्वारा विचार ऐसे प्रस्तुत किए गये थे कि दिनकर के चिंतन की वैचारिक गरमाहट की अनुभुति को मावलंकर सभागार में उपस्थित श्रोताओं ने गहराई से महसूस किया.
उद्घाटन सत्र के बाद मैं नालंदा हूं नाटक का मंचन हुआ जो नालंदा के अतीत और विध्वंस तथा आज उसकी महत्ता परकसे हुए निर्देशन में भली भांति अभिनीत किया गया.

द्वितीय सत्र की संगोष्ठी में शामिल वक्ताओम में –डॉ. कृष्णदत्त पालीवाल,डॉ.रामजी सिंह,डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय,डॉ. गोपाल राय,प्रो. गोपेश्वर सिंह,डॉ. केशुभाई देसाई,श्री नारायण कुमार,श्री अमरनाथ अमर आदि थे.
उद्घाटन सत्र में ही प्रो.गोपाल राय और सत्यकाम द्वारा संपादित पुस्तक-दिनकर-व्यक्तित्व और रचना के आयाम तथा संस्कृति से संवाद –रामधारी सिंह दिनकर स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ.
अंतिम सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें –सर्वश्री गोपाल दास नीरज,भगवान प्रलय, मुमताज नसीम,सत्येन्द्र सत्यर्थी,विवेक गौतम,सुश्रीआकृति शशांक,लक्ष्मी शंकर वाजपेयी,विनीत चौहान,अमर नाथ अमर, हरमिंद्र पाल,पंकज सुबीर और नमिता राकेश आदि प्रमुख थीं.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्य्केतु सांकृत और समंवय नीरज कुमार ने किया.
न देखे विश्व पर मुझको घृणा से,
मनुज हूं ,सृष्टि का शृंगार हूं मैं,
पुजारिन! धूलि से मुझको उठालो,
तुम्हारे देवता का हार हूं मैं. ----
शमशेर अहमद खान
2-सी, प्रैस ब्लाक, पुराना सचिवालय, सिविल लाइंस, दिल्ली-110054

Thursday, September 3, 2009

धम्मसंघ

धम्मसंघ

धम्मसंघ

धम्मसंघ

धम्मसंघ

धम्मसंघ
भोर का तारा

शमशेर अहमद खान


कल दिल्ली की दोपहरी काफी गर्म थी.बाहर निकलना चलती- फिरती भट्टियों ने और भी दूभर कर दिया था.दिल्ली वासियों की बेचारगी पर इंद्र देवता को दया आ ही गई.वे ऐसे दयालु हुए कि दो घंटे तक झमाझम बारिश होती रही. कहीं पालिका की पोल खुली तो कहीं घंटों जाम लगा रहा.ऐसे-तैसे लोग घर पहुंचे. एलार्म क्लार्क की घंटी सुनकर अलसाए मन से घर की खिड़की खोलते ही धुली-धुली प्रकृति में नीला आकाश और नीलवर्ण में टंगा शुभ्र शुक्र नक्षत्र भोर होने का संकेत दे रहा था. इस क्षण को आइए हम-सब मिलकर बांट लें.









Saturday, August 15, 2009



















आजादी के अवसर पर लाल किले की भीतर की झाकियां