Pages

Thursday, September 3, 2009

भोर का तारा

शमशेर अहमद खान


कल दिल्ली की दोपहरी काफी गर्म थी.बाहर निकलना चलती- फिरती भट्टियों ने और भी दूभर कर दिया था.दिल्ली वासियों की बेचारगी पर इंद्र देवता को दया आ ही गई.वे ऐसे दयालु हुए कि दो घंटे तक झमाझम बारिश होती रही. कहीं पालिका की पोल खुली तो कहीं घंटों जाम लगा रहा.ऐसे-तैसे लोग घर पहुंचे. एलार्म क्लार्क की घंटी सुनकर अलसाए मन से घर की खिड़की खोलते ही धुली-धुली प्रकृति में नीला आकाश और नीलवर्ण में टंगा शुभ्र शुक्र नक्षत्र भोर होने का संकेत दे रहा था. इस क्षण को आइए हम-सब मिलकर बांट लें.









No comments:

Post a Comment