Sunday, September 12, 2010
काठमांडू में त्रिदिवसीय हिंदी संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन सम्पन्न
दिनांक 7,8 व 9 सितंबर 2010 को काठमांडू में त्रिदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन नेपाल,
काठमांडू स्थित भारतीय राजदूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया.हालांकि इस संगोष्ठी की संकल्पना उ.प्र.हि.सं. लखनऊ द्वारा की गई थी किंतु अपरिहार्य कारणों से इस संस्थान का कोई प्रतिनिधि सम्मलित न हो सका.
इस संगोष्ठी का शुभारंभ हास्य कवि सम्मेलन से होना था.इस हास्य कवि सम्मेलन में सम्मलित होने वाले कवियों में हास्य कवि सम्राट सर्वश्री सुरेंद्र शर्मा, महेंद्र शर्मा, अरुण जैमिनी, दीपक गुप्ता,कविता किरण,विवेक गौतम और नेपाली कवि सर्वश्री लक्ष्मण गाम्नागे और शैलेंद्र सिंखडा थे.इस हास्य कवि सत्र का उद्घाटन नेपाली राष्ट्रपति महामहिम डॉ. श्री रामवरण यादव द्वारा दीप प्रज्ज्व्लित करके किया गया. इस उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रग्या प्रतिष्ठान के श्री बैरागी काइंला द्वारा की गई.स्वागत उपकुलपति श्री गंगा प्रसाद उप्रेती द्वारा किया गया. इस अवसर पर आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों में नेपाली शिक्षा मंत्री, संस्कृति मंत्री और भारतीय राजदूत श्री राकेश सूद थे जिन्होंने आशीर्वचन और अपने-अपने उद्बोधन भाषण दिए.
नेपाली राष्ट्रपति ने न केवल इस मैत्रीपूर्ण हास्य कवि सम्मेलन के लिए भारतीय राजदूतावास काठमांडू और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली को बधाई दी बल्कि उन्होंने अपने मंत्रियों के साथ हास्य का लुत्फ भी लिया. महामहिम राष्ट्रपति जी ने इस अवसर पर नेपाली कवियित्री के कविता संग्रह का लोकार्पण भी किया.
यह कवि सम्मेलन कई घंटों तक चला और श्रोताओं से भरा हुआ हाल ठहाकों और तालिओं से गूंजता रहा.काठमांडू की फिजा में हास्य की गूंज इस प्रकार तारी रही कि समय भी ठहर कर इसमें खो सा गया.यह हास्य कवि सम्मेलन दो देशों का आत्मिक मिलन था जिसकी अध्यक्षता हास्य कवि सम्राट सुरेंद्र शर्मा ने की.
संगोष्ठी का प्रथम सत्र हिंदी का वैश्विक परिवेश से शुभारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ट साहित्यकार एवं भाषाविद शमशेर अहमद खान ने की.इस सत्र में डॉ. भवानी सिंह और डॉ. सूर्यनाथ गोप ने अपने-अपने शोधपत्र पढ़े और विश्व में हिंदी की स्थिति का जायजा लिया. विश्व में हिंदी की वर्तमान स्थिति और उसकी समस्याओं पर भारतीय और नेपाली विद्वान श्रोताओं द्वारा उठाए गए सवालों का तार्किक और संतुलित उत्तर सत्र के अध्यक्ष द्वारा दिया गया.
द्वितीय सत्र का विषय था नेपाली र हिंदी साहित्य में सामाजिक चेतना का तुल्नात्मक विवेचन. इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. विनोद कालरा ने की.इस सत्र में डॉ. महादेव अवस्थी,श्री गोपाल अश्क ने शोधपत्र पढ़े और विद्वान प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब सत्र की अध्यक्ष डॉ. कालरा द्वारा दिए गए.
संगोष्ठी का तीसरा सत्र हिंदी र नेपाली भाषा, साहित्य तथा लिपि की समानता. इस सत्र की अध्यक्षता दॉ. डी.पी.भंडारी ने की तथा डॉ. विनोद गौतम, डॉ. योगेंद्र यादव व डॉ. चूणामड़ि बंधु ने अपने- अपने आलेख प्रस्तुत किए.भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के निदेशक श्री अजय गुप्ता ने अपने उद्बोधन भाषण में कार्यक्रम की सफलता पर नेपाल के इस प्रतिष्ठान के कुलपति, सभी पदाधिकारियों, काठमांडु स्थित भारतीय राजदूतावास के महामहिम राजदूत,प्रथम सचिव सुश्री अपूर्वा श्रीवास्तव और सभी कर्मियों तथा बी.पी. कोईराला इंडिया-नेपाल फाउंडेशन को हार्दिक धन्यवाद अर्पित किया.
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आपको हिंदी दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ। आज ही उज्जैन और इन्दौर की साहित्यिक-यात्रा सम्पन्न कर लौटा हूँ। आपने बहुत अच्छी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। बधाई।
ReplyDeletebahut badhiya reporting ki hai aapne khan sahab! aapse guzarish hai mere chitra bhi kripya mujhe mail karen.smratiyan sanjone ke liye.shukriya.
ReplyDeleteकिरन जी, आपके सभी चित्र भेज दिए गए हैं.
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